Book Best Pandit Ji For दोष निवारण पूजा In उज्जैन
पंडित गोविंद शर्मा
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पंडित गोविंद शर्मा
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पंडित गोविंद शर्मा
About Us —
पंडित गोविंद शर्मा
उज्जैन वाले
नाम – पंडित गोविंद शर्मा
पता – श्री महाकाल मंदिर के पीछे सिद्ध सेन मार्ग श्री रामानुज कोट रामघाट उज्जैन (म.प्र.)
कर्म स्थान – श्री मंगलनाथ मंदिर के सामने (मंगल घाट) श्री मंगल धाम आश्रम उज्जैन
समय – प्रातः 7 से शाम 5 बजे तक

परामर्श हेतु निशुल्क अभी काल करे (+91 97542 98113)
हमारे द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठान
कालसर्प दोष शांति मंगल दोष शांति मंगल भात पूजा अंगारक दोष शांति सूर्य ग्रहण दोष शांति चंद्र ग्रहण दोष शांति विश दोष शांति चांडाल दोष शांति दुर्गा सप्तशती पाठ नवचंडी एवं शत चंडी पाठ नवग्रह शांति नवग्रह जप अनुष्ठान मूल नक्षत्र शांति रुद्राभिषेक पूजन महामृत्युंजय जप अनुष्ठान एवं विवाह संस्कार आदि, वेदोक्त पुराणोक्त पद्धति से कराए जाते हैं |
About Us —
पंडित गोविंद शर्मा उज्जैन वाले
नाम – पंडित गोविंद शर्मा
पता – श्री महाकाल मंदिर के पीछे सिद्ध सेन मार्ग श्री रामानुज कोट रामघाट उज्जैन (म.प्र.)
कर्म स्थान – श्री मंगलनाथ मंदिर के सामने (मंगल घाट) श्री मंगल धाम आश्रम उज्जैन
समय – प्रातः 7 से शाम 5 बजे तक

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पंडित गोविंद शर्मा उज्जैन वाले
नाम – पंडित गोविंद शर्मा
पता – श्री महाकाल मंदिर के पीछे सिद्ध सेन मार्ग श्री रामानुज कोट रामघाट उज्जैन (म.प्र.)
कर्म स्थान – श्री मंगलनाथ मंदिर के सामने (मंगल घाट) श्री मंगल धाम आश्रम उज्जैन
समय – प्रातः 7 से शाम 5 बजे तक

परामर्श हेतु निशुल्क अभी काल करे
(+91 97542 98113)
हमारे द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठान
कालसर्प दोष शांति मंगल दोष शांति मंगल भात पूजा अंगारक दोष शांति सूर्य ग्रहण दोष शांति चंद्र ग्रहण दोष शांति विश दोष शांति चांडाल दोष शांति दुर्गा सप्तशती पाठ नवचंडी एवं शत चंडी पाठ नवग्रह शांति नवग्रह जप अनुष्ठान मूल नक्षत्र शांति रुद्राभिषेक पूजन महामृत्युंजय जप अनुष्ठान एवं विवाह संस्कार आदि, वेदोक्त पुराणोक्त पद्धति से कराए जाते हैं |
कालसर्प योग क्यों बनता है एवं इसके क्या प्रभाव हैं
आगे राहु हो एवं नीचे केतु मध्य में सभी सातों ग्रह विद्यमान हो तो कालसर्प योग बनता है अतः इस योग से ग्रसित जातकों के लिए आवश्यक है कि वह इस कालसर्प योग का निदान करा ले जिससे कि कुंडली के शुभ योगों के फल पूर्णता मिलते रहे |
द्वादश भागों में राहु की स्थिति के अनुसार कालसर्प योग मुख्यतः द्वादश प्रकार के होते हैं |
अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पदम, महापद्मा, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूड़, घातक, विषधर एवं शेषनाग

यह योग उदित अनुदित भेद से दो प्रकार के होते हैं राहु के मुख्य में सभी सातों ग्रह ग्रसित हो जाए तो उदित गोलार्ध नामक योग बनता है एवं राहु की पृष्ठ में यदि सभी ग्रहों को अनुदिन गोलार्ध नामक योग बनता है |
यदि लग्न कुंडली में सभी सातों ग्रह राहु से केतु के मध्य में हो लेकिन अंशा अनुसार कुछ ग्रह राहु-केतु की दूरी से बाहर हो तो आंशिक कालसर्प योग कहलाता है यदि कोई एक ग्रह राहु-केतु की दूरी से बाहर हो तो भी आंशिक कालसर्प योग बनता है |
यदि राहु से केतु तक सभी भावों में कोई न कोई ग्रह स्थित हो तो यह योग पूर्ण रूप से फलित होता है यदि राहु केतु के साथ सूर्य या चंद्र हो तो यह योग अधिक प्रभावशाली होता है यदि राहु सूर्य व चंद्र तीनों एक साथ हो तो ग्रहण काल सर्प योग बनता है इसका फल हजार गुना अधिक हो जाता है ऐसे जातकों को कालसर्प योग की शांति करवाना अति आवश्यक होता है |
इस योग में उत्पन्न जातक को मानसिक अशांति धन प्राप्ति में बाधा संतान अवरोध एवं गृहस्ती में प्रतिफल कला के रूप में प्रकट होता है प्रायः जातक को बुरे सपने आते हैं कुछ ना कुछ अशुभ होने की आशंका मन में बनी रहती है जातक को अपनी क्षमता एवं कार्यकुशलता का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है काय अक्सर देर से सफल होते हैं अचानक नुकसान एवं प्रतिष्ठा में क्षति इस योग के लक्षण हैं जातक के शरीर में वात पित्त टी20 असाध्य रोग कारण उत्पन्न होते ऐसे लोग जो प्रतिदिन प्लेस पिला देते हैं तथा औषधी लेने पर भी ठीक नहीं होते हैं कई कारण होते हैं |
कालसर्प योग के औपचारिक उपाय के द्वारा इन कष्टों से राहत एवं छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है |
कालसर्प योग क्यों बनता है एवं इसके क्या प्रभाव हैं
आगे राहु हो एवं नीचे केतु मध्य में सभी सातों ग्रह विद्यमान हो तो कालसर्प योग बनता है अतः इस योग से ग्रसित जातकों के लिए आवश्यक है कि वह इस कालसर्प योग का निदान करा ले जिससे कि कुंडली के शुभ योगों के फल पूर्णता मिलते रहे |
द्वादश भागों में राहु की स्थिति के अनुसार कालसर्प योग मुख्यतः द्वादश प्रकार के होते हैं | अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पदम, महापद्मा, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूड़, घातक, विषधर एवं शेषनाग

यह योग उदित अनुदित भेद से दो प्रकार के होते हैं राहु के मुख्य में सभी सातों ग्रह ग्रसित हो जाए तो उदित गोलार्ध नामक योग बनता है एवं राहु की पृष्ठ में यदि सभी ग्रहों को अनुदिन गोलार्ध नामक योग बनता है |
यदि लग्न कुंडली में सभी सातों ग्रह राहु से केतु के मध्य में हो लेकिन अंशा अनुसार कुछ ग्रह राहु-केतु की दूरी से बाहर हो तो आंशिक कालसर्प योग कहलाता है यदि कोई एक ग्रह राहु-केतु की दूरी से बाहर हो तो भी आंशिक कालसर्प योग बनता है|
यदि राहु से केतु तक सभी भावों में कोई न कोई ग्रह स्थित हो तो यह योग पूर्ण रूप से फलित होता है यदि राहु केतु के साथ सूर्य या चंद्र हो तो यह योग अधिक प्रभावशाली होता है यदि राहु सूर्य व चंद्र तीनों एक साथ हो तो ग्रहण काल सर्प योग बनता है इसका फल हजार गुना अधिक हो जाता है ऐसे जातकों को कालसर्प योग की शांति करवाना अति आवश्यक होता है |
इस योग में उत्पन्न जातक को मानसिक अशांति धन प्राप्ति में बाधा संतान अवरोध एवं गृहस्ती में प्रतिफल कला के रूप में प्रकट होता है प्रायः जातक को बुरे सपने आते हैं कुछ ना कुछ अशुभ होने की आशंका मन में बनी रहती है जातक को अपनी क्षमता एवं कार्यकुशलता का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है काय अक्सर देर से सफल होते हैं अचानक नुकसान एवं प्रतिष्ठा में क्षति इस योग के लक्षण हैं जातक के शरीर में वात पित्त टी20 असाध्य रोग कारण उत्पन्न होते ऐसे लोग जो प्रतिदिन प्लेस पिला देते हैं तथा औषधी लेने पर भी ठीक नहीं होते हैं कई कारण होते हैं |

कालसर्प योग के औपचारिक उपाय के द्वारा इन कष्टों से राहत एवं छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है |
कालसर्प योग क्यों बनता है एवं इसके क्या प्रभाव हैं
आगे राहु हो एवं नीचे केतु मध्य में सभी सातों ग्रह विद्यमान हो तो कालसर्प योग बनता है अतः इस योग से ग्रसित जातकों के लिए आवश्यक है कि वह इस कालसर्प योग का निदान करा ले जिससे कि कुंडली के शुभ योगों के फल पूर्णता मिलते रहे |
द्वादश भागों में राहु की स्थिति के अनुसार कालसर्प योग मुख्यतः द्वादश प्रकार के होते हैं |
अनंत, कुलिक, वासुकी, शंखपाल, पदम, महापद्मा, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूड़, घातक, विषधर एवं शेषनाग
यह योग उदित अनुदित भेद से दो प्रकार के होते हैं राहु के मुख्य में सभी सातों ग्रह ग्रसित हो जाए तो उदित गोलार्ध नामक योग बनता है एवं राहु की पृष्ठ में यदि सभी ग्रहों को अनुदिन गोलार्ध नामक योग बनता है |
यदि लग्न कुंडली में सभी सातों ग्रह राहु से केतु के मध्य में हो लेकिन अंशा अनुसार कुछ ग्रह राहु-केतु की दूरी से बाहर हो तो आंशिक कालसर्प योग कहलाता है यदि कोई एक ग्रह राहु-केतु की दूरी से बाहर हो तो भी आंशिक कालसर्प योग बनता है |
यदि राहु से केतु तक सभी भावों में कोई न कोई ग्रह स्थित हो तो यह योग पूर्ण रूप से फलित होता है यदि राहु केतु के साथ सूर्य या चंद्र हो तो यह योग अधिक प्रभावशाली होता है यदि राहु सूर्य व चंद्र तीनों एक साथ हो तो ग्रहण काल सर्प योग बनता है इसका फल हजार गुना अधिक हो जाता है ऐसे जातकों को कालसर्प योग की शांति करवाना अति आवश्यक होता है |
इस योग में उत्पन्न जातक को मानसिक अशांति धन प्राप्ति में बाधा संतान अवरोध एवं गृहस्ती में प्रतिफल कला के रूप में प्रकट होता है प्रायः जातक को बुरे सपने आते हैं कुछ ना कुछ अशुभ होने की आशंका मन में बनी रहती है जातक को अपनी क्षमता एवं कार्यकुशलता का पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है काय अक्सर देर से सफल होते हैं अचानक नुकसान एवं प्रतिष्ठा में क्षति इस योग के लक्षण हैं जातक के शरीर में वात पित्त टी20 असाध्य रोग कारण उत्पन्न होते ऐसे लोग जो प्रतिदिन प्लेस पिला देते हैं तथा औषधी लेने पर भी ठीक नहीं होते हैं कई कारण होते हैं |
कालसर्प योग के औपचारिक उपाय के द्वारा इन कष्टों से राहत एवं छुटकारा प्राप्त किया जा सकता है |
मंगल दोष कैसे होता और इसकी शांति कैसे की जाए एवं इसके क्या प्रभाव है
मध्य प्रदेश में स्थित महाकाल की नगरी उज्जैन को सब तीर्थों में श्रेष्ठ माना गया है मान्यताएं इस नगरी में मंगल ग्रह की शांति के लिए दुनिया में मंगलनाथ मंदिर से बढ़कर कोई स्थान नहीं है ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता वह अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में पूजा पाठ करवाने आते हैं मंगल को भगवान शिव एवं पृथ्वी का पुत्र कहा गया है इस कारण इस मंदिर में मंगल की उपासना महादेव के रूप में भी की जाती हे |
इस मंदिर में मांगलिक दोष निवारण पूजा कराने से मांगलिक दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है मांगलिक दोष पूजा कराने से जीवन के सभी कार्य पूर्ण होते हैं और महादेव का आशीष भी प्राप्त होता है |

मंगल पूजा चार प्रकार की होती है |
सामान्य पूजन गणेश गौरी एवं भात पूजा, दूसरी होती है नवग्रह शांति जिसमें गणेश गौरी पूजन होता है एवं नवग्रह देवताओं का आवाहन स्थापन पूजन होता है उसके बाद में भात पूजन होता है उसके बाद हवन होता है, तीसरा पूजन होता है पंचांग कर्म जिसमें गणेश गौरी पूजन पुण्य हां वाचन पूजन षोडश मातृका कुलदेवी सप्त घृत मातृका पूजन पित्र पूजन जिसको नांदी श्राद्ध कहते हैं उसके बाद में मंगल कलश पूजन नवग्रह देवताओं का पूजन भात पूजन उसके बाद में रुद्रा अभिषेक होता है भगवान शिव का फिर होता है हवन पूर्णाहुति, चौथा पूजन होता है ब्राह्मणों के द्वारा मंगल के जप अनुष्ठान पूरा पंचांग कर्म |
मंगल दोष कैसे होता और इसकी शांति कैसे की जाए एवं इसके क्या प्रभाव है
मध्य प्रदेश में स्थित महाकाल की नगरी उज्जैन को सब तीर्थों में श्रेष्ठ माना गया है मान्यताएं इस नगरी में मंगल ग्रह की शांति के लिए दुनिया में मंगलनाथ मंदिर से बढ़कर कोई स्थान नहीं है ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में मंगल भारी रहता वह अपने अनिष्ट ग्रहों की शांति के लिए मंगलनाथ मंदिर में पूजा पाठ करवाने आते हैं मंगल को भगवान शिव एवं पृथ्वी का पुत्र कहा गया है इस कारण इस मंदिर में मंगल की उपासना महादेव के रूप में भी की जाती हे |
मंगल पूजा चार प्रकार की होती है | सामान्य पूजन गणेश गौरी एवं भात पूजा, दूसरी होती है नवग्रह शांति जिसमें गणेश गौरी पूजन होता है एवं नवग्रह देवताओं का आवाहन स्थापन पूजन होता है उसके बाद में भात पूजन होता है उसके बाद हवन होता है, तीसरा पूजन होता है पंचांग कर्म जिसमें गणेश गौरी पूजन पुण्य हां वाचन पूजन षोडश मातृका कुलदेवी सप्त घृत मातृका पूजन पित्र पूजन जिसको नांदी श्राद्ध कहते हैं उसके बाद में मंगल कलश पूजन नवग्रह देवताओं का पूजन भात पूजन उसके बाद में रुद्रा अभिषेक होता है
भगवान शिव का फिर होता है हवन पूर्णाहुति, चौथा पूजन होता है ब्राह्मणों के द्वारा मंगल के जप अनुष्ठान पूरा पंचांग कर्म |

इस मंदिर में मांगलिक दोष निवारण पूजा कराने से मांगलिक दोष के दुष्प्रभाव से मुक्ति मिलती है मांगलिक दोष पूजा कराने से जीवन के सभी कार्य पूर्ण होते हैं और महादेव का आशीष भी प्राप्त होता है |
अन्य दोष निवारण पुजाऐ
चांडाल दोष
यदि जातक की कुंडली में राहु के साथ में बृहस्पति देवता या फिर केतु के साथ में बृहस्पति देवता होते हैं तो चांडाल दोष बनता है जातक को विशेष रुप से चांडाल दोष की समय अनुरूप शांति पूजन करवानी चाहिए चांडाल दोष से भ्रम उत्पन्न होना भय लगना गुस्सा आना चिड़चिड़ापन रहना इस प्रकार आदि एवं अनेकों प्रकार की बाधाएं आती हैं इसलिए विशेष रूप से चांडाल दोष की शांति पूजन करवाना चाहिए |
विश दोष
विष दोष शनि एवं चंद्र की युति से बनते हैं इनकी यूती से जातक को घात के योग लगातार बनते रहते हैं एवं यह योग अल्पायु का सूचक है इस योग की विशेष रुप से जातक को समय के अनुसार शीघ्र ही शांति पूजन करवाना चाहिए |
पित्र दोष
जातक की कुंडली में सूर्य एवं शनि की युति बनती है तो पितृदोष बनता है इस दोस्त से समस्या आने वाली इसके प्रभाव जैसे माता-पिता से नबन्ना घर में लड़ाई झगड़ा रहना घर में शांति ना रहना एवं डरावने बुरे सपने आना या सपने में सर्प का दिखना इसके प्रभाव हैं जातक को इस योग की शांति विशेष रूप से करवाना चाहिए एवं अपने पूर्वज पितृ देवताओं को प्रसन्न रखना चाहिए |
अन्य दोष निवारण पुजाऐ
चांडाल दोष
यदि जातक की कुंडली में राहु के साथ में बृहस्पति देवता या फिर केतु के साथ में बृहस्पति देवता होते हैं तो चांडाल दोष बनता है जातक को विशेष रुप से चांडाल दोष की समय अनुरूप शांति पूजन करवानी चाहिए चांडाल दोष से भ्रम उत्पन्न होना भय लगना गुस्सा आना चिड़चिड़ापन रहना इस प्रकार आदि एवं अनेकों प्रकार की बाधाएं आती हैं इसलिए विशेष रूप से चांडाल दोष की शांति पूजन करवाना चाहिए |
पित्र दोष
जातक की कुंडली में सूर्य एवं शनि की युति बनती है तो पितृदोष बनता है इस दोस्त से समस्या आने वाली इसके प्रभाव जैसे माता-पिता से नबन्ना घर में लड़ाई झगड़ा रहना घर में शांति ना रहना एवं डरावने बुरे सपने आना या सपने में सर्प का दिखना इसके प्रभाव हैं जातक को इस योग की शांति विशेष रूप से करवाना चाहिए एवं अपने पूर्वज पितृ देवताओं को प्रसन्न रखना चाहिए |
विश दोष
विष दोष शनि एवं चंद्र की युति से बनते हैं इनकी यूती से जातक को घात के योग लगातार बनते रहते हैं एवं यह योग अल्पायु का सूचक है इस योग की विशेष रुप से जातक को समय के अनुसार शीघ्र ही शांति पूजन करवाना चाहिए |
हमें क्यों चुनें
विधि विधान से पूजा
सर्वश्रेष्ठ पंडित
श्रेष्ठ एवं सर्वोत्तम फल
11 + वर्षों का अनुभव
कालसर्प दोष निवारण पूजा नागपंचमी के पर्व पर
कालसर्प दोष शांति
आगे राहु हो एवं नीचे केतु मध्य में सभी सातों ग्रह विद्यमान हो तो कालसर्प योग बनता है अतः इस योग से ग्रसित जातकों के लिए आवश्यक है कि वह इस कालसर्प योग का निदान करा ले जिससे कि कुंडली के शुभ योगों के फल पूर्णता मिलते रहे।
पूजन उज्जैन मे
राजाधिराज भगवान महाकाल का मंदिर उज्जैन में स्थित है। इसलिए महाकाल की नगरी उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
पंडित गोविंद शर्मा के द्वारा
पंडित गोविंद शर्मा जी द्वारा पिछले 25 वर्षों से हजारो श्रद्धालु की कालसर्प दोष निवारण पूजा सम्पन्न करके अच्छे परिणाम दिलवाया।
कालसर्प दोष निवारण पूजा नागपंचमी के पर्व पर
कालसर्प दोष शांति
आगे राहु हो एवं नीचे केतु मध्य में सभी सातों ग्रह विद्यमान हो तो कालसर्प योग बनता है अतः इस योग से ग्रसित जातकों के लिए आवश्यक है कि वह इस कालसर्प योग का निदान करा ले जिससे कि कुंडली के शुभ योगों के फल पूर्णता मिलते रहे।
पूजन उज्जैन मे
राजाधिराज भगवान महाकाल का मंदिर उज्जैन में स्थित है। इसलिए महाकाल की नगरी उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
पंडित गोविंद शर्मा के द्वारा
पंडित गोविंद शर्मा जी द्वारा पिछले 25 वर्षों से हजारो श्रद्धालु की कालसर्प दोष निवारण पूजा सम्पन्न करके अच्छे परिणाम दिलवाया।
कालसर्प दोष निवारण पूजा नागपंचमी के पर्व पर
पंडित गोविंद शर्मा के द्वारा
पंडित गोविंद शर्मा जी द्वारा पिछले 25 वर्षों से हजारो श्रद्धालु की कालसर्प दोष निवारण पूजा सम्पन्न करके अच्छे परिणाम दिलवाया।
पूजन उज्जैन मे
राजाधिराज भगवान महाकाल का मंदिर उज्जैन में स्थित है। इसलिए महाकाल की नगरी उज्जैन में कालसर्प दोष पूजा करने से भगवान शिव का आशीर्वाद और कृपा प्राप्त होती है।
कालसर्प दोष शांति
आगे राहु हो एवं नीचे केतु मध्य में सभी सातों ग्रह विद्यमान हो तो कालसर्प योग बनता है अतः इस योग से ग्रसित जातकों के लिए आवश्यक है कि वह इस कालसर्प योग का निदान करा ले जिससे कि कुंडली के शुभ योगों के फल पूर्णता मिलते रहे।
महामृत्युंजय जाप अनुष्ठान एवं सभी प्रकार की दोष निवारण पूजा के लिए संपर्क करें
घर से पूजा एवं अनुष्ठान
आप हमसे अपने घर से ही संकल्प देकर ऑनलाइन धार्मिक पूजा व अनुष्ठान करा सकते है जैसे कालसर्प दोष शांति मंगल दोष शांति मंगल भात पूजा अंगारक दोष शांति सूर्य ग्रहण दोष शांति चंद्र ग्रहण दोष शांति विश दोष शांति चांडाल दोष शांति दुर्गा सप्तशती पाठ नवचंडी एवं शत चंडी पाठ नवग्रह जप अनुष्ठान मूल नक्षत्र शांति रुद्राभिषेक पूजन महामृत्युंजय जप अनुष्ठान आदि, वेदोक्त पुराणोक्त पद्धति से ऑनलाइन करा सकते है।
गैलरी
अक्सर पुछे गए सवाल
नही, पूजा के लिए प्री बुकिंग की आवश्यकता नही होती है आप पूजा के लिए 24 घंटे पहले कॉल करके बुकिंग करवा सकते है।
कालसर्प दोष निवारण पूजा के लिए वैसे तो कोई मुहूर्त नहीं है क्योंकि अवंतिका नगरी में 3:30 काल विराजमान है जेसे काल भैरव गढ़कालिका एवं अर्ध भैरव एवं महाकाल साक्षात यहां पर विराजमान और विशेष कर नाग पंचमी को निवारण करवाना चाहिए क्योंकि साल भर में महाकालेश्वर मंदिर के शिखर के ऊपर नागचंद्रेश्वर मंदिर है वह केवल मात्र 24 घंटे के लिए खुलता है इसीलिए विशेष रूप से नागपंचमी करवाना चाहिए।
वैसे इसमें खर्चा सामान्यतः लगता है लेकिन फिर आपके ऊपर डिपेंड करता है कि आप कौन सी वाली पूजन करवाते हैं दूसरी बात इस पूजन को सामान्य व्यक्ति भी करवा सकता है और बड़े से बड़ा व्यक्ति भी करवा सकता है।
जी नहीं पूजन सामग्री घर से लाने की आवश्यकता नहीं है लेकिन आपकी कुंडली में कौन सा दोष है उस हिसाब से कुछ छोटे उपाय घर से बताए जाएंगे वह साहित्य आपको लाने आवश्यकता रहेगी बाकी पूजन के निमित्य में कुछ भी साहित्य लाने आवश्यकता नहीं रहेगी।
उज्जैन में मंगल दोष निवारण करवाने से विवाह संबंधित बाधा संतान संबंधित बाधा व्यापार व्यवसाय संबंधित बाधा एवं भूमि संबंधित बाधाएं आदि प्रकार की बाधाओं से निजात मिलता है एवं भगवान महादेव की कृपा प्राप्त होती हैं।
मंगल दोष निवारण पूजा के लिए विशेषत मंगलवार को करवाना चाहिए एवं इसके लिए भी उज्जैन अवंतिका नगरी में मुहूर्त नहीं देखे जाते हैं।
हमारे द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठान कालसर्प दोष शांति मंगल दोष शांति मंगल भात पूजा विश दोष शांति चांडाल दोष पित्र दोष शांति रुद्राभिषेक पूजन महामृत्युंजय जप अनुष्ठान एवं विवाह संस्कार आदि किए जाते हैं।
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हमारे द्वारा किए जाने वाले अनुष्ठान कालसर्प दोष शांति मंगल दोष शांति मंगल भात पूजा विश दोष शांति चांडाल दोष पित्र दोष शांति रुद्राभिषेक पूजन महामृत्युंजय जप अनुष्ठान एवं विवाह संस्कार आदि किए जाते हैं।
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